दिव्यांगजन समायोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण व क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम
* किसी भी आपदा की स्थिति में दिव्यांगजन सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। आपदाओं में दिव्यांगों और खासकर विशेष बच्चों को महफूज रखना बड़ी चुनौती है। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के महत्वाकांक्षी दिव्यांगजन समायोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण व क्षमतावर्द्धन कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगजनों को आपदाओं की स्थिति में सुरक्षित रखना है।
* साल-2011 की जनगणना के अनुसार भारत में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या 2.68 करोड़ है, जो देश की कुल जनसंख्या का 2.21 प्रतिशत है। वहीं राज्यवार आंकड़ों की बात की जाए तो बिहार में दिव्यांगो की संख्या 23,31,009 है। हालांकि यह आंकड़े वास्तविक जनसंख्या से काफी कम हैं। समग्र शिक्षा के तहत राज्य भर के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में करीब दो लाख दिव्यांग बच्चे सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई कर रहे हैं।
* इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के सभी दिव्यांगों, उनकी देखभाल करनेवाले केयरगिवर्स, संसाधन शिक्षकों व प्रशिक्षकों को आपदाओं के प्रति जागरूक और इनसे बचाव के लिए प्रशिक्षित करना है। इसके लिए सबसे पहले विशेषज्ञों की मदद से एक मॉड्यूल (हस्तपुस्तिका) तैयार किया गया। इसका ब्रेल लिपि में भी प्रकाशन करवाया गया। पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले वर्ष-2023 में पटना जिले में 20 शिक्षकों-प्रशिक्षकों को मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण दिया गया।
* राज्य के सभी स्कूलों के विशेष बच्चों को प्रशिक्षण व माॅकड्रिल के माध्यम से सशक्त बनाया जा रहा है। राजधानी के सात विशेष विद्यालयों में 600 से ज्यादा दिव्यांग बच्चों को आपदाओं से बचाव की जानकारी मॉकड्रिल के जरिये दी जा चुकी है। भारत विकास एवं संजय आनंद विकलांग अस्पताल, पटना और कंकड़बाग विकलांग अस्पताल में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और न्यास प्रबंधन के सहयोग से प्राधिकरण ने कर्मियों व मरीजों के बीच माॅकड्रिल करवाई गई है।
* इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को पूरे राज्य में, हर प्रखंड में ले जाया जा रहा है। पहले चरण में मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए जा रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के तहत जिले में संचालित सरकारी शैक्षणिक विद्यालयों, निबंधित गैर सरकारी संस्थाओं एवं ‘सक्षम‘ के अधीन अनुमंडल स्तर पर कार्यरत बुनियाद केंद्र से जुड़े कर्मियांे को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनके साथ-साथ बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बी.ई.पी.सी.) की ओर से प्रखंडों में नियुक्त स्पेशल एडुकेटर (रिसोर्स पर्सन) भी प्रशिक्षित किए जा रहे हैं।
* पटना स्थित दशरथ मांझी श्रम नियोजन एवं अध्ययन संस्थान में मास्टर ट्रेनर्स के लिए तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण विगत जुलाई माह में शुरू किया गया। अब तक (अप्रैल, 2025) लगभग 1250 लोगों को इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ये सभी दिव्यांगजनों के बीच कार्यरत हैं। प्रशिक्षण उपरांत दिव्यांगों को आपदा से बचाव की जानकारी दे रहे हैं।
* समाज कल्याण विभाग और शिक्षा विभाग की मदद से इस कार्यक्रम को धरातल पर उतारा जा रहा है। प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स अपने-अपने बुनियाद केंद्रों में आनेवाले दिव्यांगजनों और उनके केयरगिवर्स को प्रशिक्षित करेंगे। इसके लिए पंचायतों में कैम्प लगाने की योजना है। ‘सक्षम‘ और बी.ई.पी.सी. के साथ औपचारिक एम.ओ.यू. कर इसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है।
* इसके अलावा प्राधिकरण जन्मजात दिव्यांगता रोकने की दिशा में भी अन्य विभागों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। एम्स व अन्य संस्थानों के वरिष्ठ चिकित्सकों की एक कमेटी बनाई गई। गर्भवती माताओं, परिजनों, आंगनबाड़ी सेविकाओं और ग्रामीण चिकित्सकों को किन-किन बातों का खास ध्यान रखा चाहिए, इसके लिए एक मार्गदर्शिका (क्या करें, क्या ना करें) तैयार करने का काम यह कमेटी ने किया।
* दिव्यांग दया के पात्र नहीं हैं। क्षमताओं से भरपूर हैं। सामान्य नागरिक की तरह कंधे से कंधा मिलाकर चल सकते हैं। समाज की मुख्य धारा के ही हिस्से हैं। दिव्यांग बच्चों में यह आत्मविश्वास पैदा करना भी इस कार्यक्रम का लक्ष्य है। प्राधिकरण ने इन विशेष बच्चों को बिहार दिवस व सोनपुर मेला जैसे बड़े आयोजनों में मंच प्रदान किया, जहां इन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। सुरक्षित बिहार, विकसित बिहार के सफर में दिव्यांग बंधु भी हमारे हमसफर होंगे।