पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ो के अध्ययन से यह तथ्य प्रकाश में आया है कि बाढ़ के दौरान एवं उसके बाद तालाबों, गड्ढों, नहरों, नदियों आदि में डूबने से होने वाली मौतें बहुतायत में होती हैं । बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा सहभागी प्रक्रिया के माध्यम से डूबने की घटनाओं की रोकथाम, जोखिम न्यूनीकरण एवं पूर्व तैयारी हेतु कार्य योजना का सूत्रण किया गया है। इस कार्ययोजना के सूत्रण हेतु बहुहितभागी एवं सहभागी प्रक्रिया द्वारा सामग्रियां जुटाई गयी तथा एक बहु-हितभागी ड्राफ्टिंग कमिटी का गठन किया गया। सामग्रियों को जुटाने एवं ड्राफ्टिंग कमिटी के गठन एवं कार्य में यूनिसेफ, पटना की महत्वपूर्ण भागीदारी रही । बांग्लादेश में बच्चों के डूबने की घटनाओं की अधिकता को देखते हुए वर्ष 2010 से 2015 तक बच्चों को समुदाय स्तर पर तैराकी का प्रशिक्षण दिया गया। जिसके फलस्वरूप वहाँ डूबने की घटनाओं में अत्यधिक कमी आयी। इसलिए कार्ययोजना के विकास में बांग्लादेश में सामुदायिक स्वंयसेवकों के सहयोग से संचालित किये गये तैराकी प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुभवों का भी सहयोग प्राप्त हुआ।
कार्ययोजना के अनुसार प्रथम चरण में “सुरक्षित तैराकी” कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के नदियों के 05कि0 मी0 की सीमा में अवस्थित गाँवों के तैराकी न जानने वाले अथवा तैराकी का अल्पज्ञान रखने वाले 06-18 वर्ष आयु वर्ग के बालक/बालिकाओं को तैराकी सिखाने का कार्य किया जाना है। इस कार्य हेतु नदियों के किनारे अवस्थित गाँवों के तैराकी जानने वाले युवक/युवतियों को “मास्टर ट्रेनर्स स” के रूप में प्रशिक्षित किये जाने की योजना है। मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण हेतु विभिन्न हितधारकों के सहयोग से प्रशिक्षण मॉड्यूल का निर्माण किया गया है। प्रशिक्षण मॉड्यूल में तैराकी एवं डूबते को बचाने हेतु सहायता एवं बचाव के विभिन्न तरीकों के बारे में कौशल विकास, बाल सुरक्षा के मुद्दों, सर्पदंश, बंशीजाल बनाना एवं उपयोग का तरीका, प्राथमिक उपचार, सी0पी0आर0, घरेलू संसाधनों के उपयोग से इम्प्रोवाइज्ड राफ्ट बनाने एवं इनके उपयोग को समाहित किया गया है। इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में उन गांवों/मुहल्लों को भी शामिल किया जायेगा जिनमें बड़े तालाब एवं अन्य जल निकाय अवस्थित होंगे तथा जिसमें नागरिक स्नानादि करते हों।
उक्त आलोक में सर्वप्रथम गंगा नदी के किनारे स्थित गाँवों को लिया गया है तथा जिलों से प्राप्त तैराकों की सूची से मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण राज्य स्तर पर NINI, SDRF एवं UNICEF के सहयोग प्रारंभ किया गया है। जिसके प्रथम बैच में पटना जिले के पंडारक एवं मनेर प्रखड़ के गाँवों के तैराकों को मास्टर ट्रेनर्स के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जिसकी सूची निम्नवत हैः