‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन’ पर मुखिया, सरपंच एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम
बिहार आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप में “सुरक्षित गाँव” के घटक के अंतर्गत पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है और ग्राम स्तर आपदा प्रबंधन योजना बनाने और उसके क्रियान्वयन में पंचायतों की महत्वपूर्ण भूमिका है । आपदा की प्रकृति स्थानीय होती है और इसके रिस्पांस हेतु समुदाय की सहभागिता अत्यन्त महत्वपूर्ण है। पंचायत प्रतिनिधि स्थानीय समुदाय के द्वारा ही निर्वाचित होते हैं और उनका स्थानीय समुदाय पर सीधा प्रभाव होता है। पंचायत प्रतिनिधियों की आपदा प्रबंधन के क्षे़त्र में जागरूकता एवं क्षमतावृद्धि से स्थानीय समुदाय पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा, जिससे आपदा रिस्पांस (बचाव एव राहत) के कार्य प्रभावी तरीके से संपादित किये जा सकेगें। आपदा से प्रभावित होने वाले समुदाय की नाजुकता (vulnerability) के विश्लेषण के लिए ग्राम सभा एवं पंचायत प्रतिनिधियों का जागरूक होना आवश्यक है। आपदाओं के प्रति पंचायत प्रतिनिधियों के जागरूक होने से स्थानीय समुदाय अपने स्थानीय प्रकृति के आपदाओं के विश्लेषण और उसके न्यूनीकरण, बचाव एवं रिस्पांस की योजनाऐं सटीक रूप से तैयार कर सकती हैं।
इन जिम्मेवारियों के निर्वहन में पंचायतों का प्रशिक्षित होना नितांत आवश्यक है जिनके माध्यम से राज्य के प्रत्येक दूर दराज के गावों तक पहुंचा जा सकता है और आपदा प्रबंधन की संस्कृति जन-जन तक विखेरी जा सकती है। उपरोक्त्त के आलोक में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राज्य के 38 जिलों में सरपंच, मुखिया एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के “आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन” विषय पर राज्य स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स प्रशिक्षण आयोजन कर रहा है | साथ ही, यह मास्टर ट्रेनर्स प्रखण्ड स्तर पर अपने जिले के अन्य सरपंच, मुखिया एवं पंचायत प्रतिनिधियों को आपदा न्यूनीकरण पर प्रशिक्षण प्रदान करेंगे ।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन पर मुखिया, सरपंच एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स की जिलावार सूची :-