बच्चों के समग्र विकास में शिक्षा एवं शिक्षा के सुरक्षित वातावरण की अहम भूमिका है। विभिन्न आपदा जनित घटनाओं का स्कूली बच्चों एवं उनके शिक्षण कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जैसे आपदा के कारण विद्यालयों का बंद हो जाना या विद्यालयों में राहत केंद्रों आदि का संचालित होना, विद्यालय जाने के रास्ते अवरुद्ध हो जाना, बच्चों का विद्यालय ना आना, बच्चों का जीवन/ स्वास्थ्य संकट में पड़ जाना आदि। बच्चों के लिए विद्यालय एक ऐसा स्थान है जहां वे सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं और शिक्षा ग्रहण करते हैं। बच्चे अपने घर से विद्यालय एवं विद्यालय से पुनः घर लौटने के क्रम में कई आपदाओं के जोखिमों का सामना भी करते हैं। आपदाओं के समय विद्यालय की अन्य गतिविधियां एवं शिक्षण कार्य अवरुद्ध होने के कारण बच्चों का वैयक्तिक, मानसिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास बाधित हो जाता है। आपदाओं में बच्चों के घायल हो जाने एवं यहां तक की मृत्यु तक की स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। आपदाओं के कारण बच्चे कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित भी हो जाते हैं। इन स्थितियों में विद्यालय में बच्चों एवं शिक्षकों की उपस्थिति कम हो जाती है और धीरे-धीरे बच्चों के छीजन दर (ड्रॉपआउट) में वृद्धि होती जाती है। उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विद्यालयों को आपदा से सुरक्षित बनाने एवं बच्चों को सुरक्षित रखने की नितांत आवश्यकता है। इस परिप्रेक्ष्य में विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अनिवार्य आवश्यकता हो गया है। इस संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की सातवीं बैठक में विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम को पूरे राज्य में संचालित करने का निर्णय लिया गया जिसका नामकरण “मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम” के रूप में किया गया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है कि विद्यालयों को आपदाओं से सुरक्षित बनाया जाए एवं बच्चों को निरापद रखा जाए। प्रयास यह भी है कि विभिन्न आपदाओं कि रोकथाम एवं उनके कुप्रभावों को कम करने (Mitigation) के प्रति बच्चों, शिक्षकों और उनके माध्यम से समाज को जागरूक किया जाए ताकि अगली पीढ़ी आपदाओं को रोकने एवं उनसे निपटने में सक्षम हो सके। बिहार राज्य में सरकार द्वारा “आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप (वर्ष 2015-2030) स्वीकृत किया गया है, जिसमें विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम को प्रमुखता से समाहित किया गया है।
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम की रूपरेखा –
कार्यक्रम के लक्ष्य एवं उद्देश्य - राज्य के सभी निजी एवं सरकारी विद्यालयों, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों यथा समाज कल्याण विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय, मदरसा शिक्षा बोर्ड एवं संस्कृत शिक्षा बोर्ड से संबंधित विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएगी। इस कार्यक्रम का लक्ष्य “घर से विद्यालय एवं विद्यालय से घर तक” विभिन्न आपदाओं का बच्चों के जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभावों को कम करना एवं नियमित शिक्षण में आने वाली बाधाओं तथा इससे होने वाले नुकसान में काफी हद तक (Substantially) कमी लाना है।
उद्देश्य -
विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम मूलतः गतिविधि उन्मुख कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को ना केवल जोखिम न्यूनीकरण की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा बल्कि उन्हें जिम्मेवार नागरिक बनाने का प्रयास भी किया जाएगा। यह कार्यक्रम आपदाओं की रोकथाम विशेषकर आपदा पूर्व तैयारियों एवं आपदाओं के प्रभावों को कम करने पर केंद्रित रहेगा। कार्यक्रम के घटक - इस कार्यक्रम के तीन महत्वपूर्ण घटक होंगे •विद्यालयों का संरचनात्मक एवं गैर-संरचनात्मक सुदृढ़ीकरण •समावेशी आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं •“सुरक्षित शनिवार” के माध्यम से विद्यालय समुदाय का क्षमतावर्द्धन वर्ष 2018 से शिक्षा विभाग एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त प्रयास से “सुरक्षित शनिवार” कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। सर्वप्रथम राज्य स्तर पर प्रत्येक जिले के मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। तत्पश्चात जिला स्तरीय शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का उन्मुखीकरण राज्य स्तर पर किया गए। इसके पश्चात इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्ष 2018, 2019, 2020 एवं 2021 में किए गए। इन सभी प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सूची संलग्न है।